लोकतंत्र की रक्षा में साथ आये मजदूर, किसान और छात्र

आज की आम हड़ताल एक ऐसी देशव्यापी हड़ताल थी जो पहले की सभी हडतालों से बहुत अलग थी – इस हड़ताल में हजारों-लाखों लोग साथ आये जिसमें सिर्फ मजदूर ही नहीं  बल्कि किसान, छात्र और हर तबके और हर उम्र के लोग थे. बूढ़े हों या जवान, नास्तिक हों या धार्मिक, हर जाती, हर समुदाय, हर भाषा और देश के हर ज़िले-कसबे से लोग इस हड़ताल में जुड़े. इक तरफ मजदूर ने काम बंद कर चौक और चौराहों पर प्रदर्शन किया, दूसरी तरफ छोटे किसानों और खेतिहर मजदूरों ने भी काम बंद कर गाँव की नुक्कड़-चौपाल पर प्रदर्शन किया और छात्रों ने अपने शिक्षण संस्थानों की कार्यवाही पूरी तरह ठप्प कर दी. इस मुल्क ने साफ़ तौर पर एक आवाज़ में पूरी एकजुटता से भारतीय जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज किया है. भारत के मजदूरों और युवाओं ने बता दिया है कि किसी भी हाल में वे एक कमतर न्यूनतम मजदूरी मंज़ूर नहीं करेंगे, न ही काम के घंटे बढ़ने देंगे, ना ही भविष्य निधि में या कर्मचारी राज्य बीमा के अंतर्गत मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई कटौती बर्दाश्त करेंगे. हम जानते हैं कि सामजिक सुरक्षा संहिता में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए कोई प्रावधान नहीं है, और साफ़ शब्दों में कह देना चाहते हैं की सार्वभौमिकता के दिखावे से या झूठे वादे कर सरकार मजदूरों को नहीं बरगला सकती. हम न तो संगठन बना सकने के अपने अधिकार का हनन होने देंगे न ही अपने पसंद की यूनियन चुनने के अधिकार की लड़ाई से एक इंच भी पीछे हटेंगे. हम अपनी लड़ाई से सुनश्चित करेंगे कि हमारा कार्यस्थल और शिक्षण संस्थान उसी तरह सुरक्षित हो जिस तरह हम एक ऐसे समाज और ऐसे कार्यस्थल की कामना करते हैं जहाँ न कोई भेद-भाव हो न कोई शोषण.

हम यह भी साफ़ कर देना चाहते हैं कि जनता ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा फैलाई जा रही नफरत जो लोगों को जाती, धर्म, भाषा, लिंग, स्थान या समुदाय के नाम पर बांटना चाहती है उसको पूरी तरह से नकार दिया है. हम उन सभी मूल्यों और अधिकारों की रक्षा करेंगे जो हमने आज़ादी की लड़ाई और पिछले सात दशक के संघर्षों से हासिल किया है. हम नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसँख्या रजिस्टर (NPR) का पुरजोर विरोध करते हैं. हम यू.ए.पी.ए (UAPA) और अन्य काले क़ानूनों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे. हम जम्मू-कश्मीर के लोगों का अनुच्छेद 370 का अधिकार और उत्तर-पूर्वी राज्यों का अनुच्छेद 371 और उससे संबद्ध उपधाराओं के अधिकार की लड़ाई भी जारी रखेंगे जो उस देश की विविधता और संघीय संरचना की नींव है जिसे हम भारत कहते हैं. हम एक बेहतर अर्थव्यवस्था, न्यायसंगत समाज और विविध लोकतंत्र के लिए अग्रसर होंगे.

न्यू ट्रेड यूनियन इनिशिएटिव मजदूर वर्ग के हर तबके के साथ–साथ किसानों, छात्रों, युवाओं और उन सभी लोगों का इस्तकबाल करता है जिन्होनें आज जनता की लड़ाई में अपना योगदान दे उसे और आगे बढ़ाया. हम ख़ास कर उन मजदूरों के जज़्बे को सलाम करते हैं जो असंगठित क्षेत्र में, ठेके पर, मानदेय पर या दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं जहाँ काम की परिस्थिति विषम और विभत्स्य हैं फिर भी वे इस लड़ाई की अगुआई करते रहे और छात्रों की भी दाद देते हैं जो सब कुछ दांव पर लगा कर कॉलेजों के तानाशाह प्रबंधन के खिलाफ खड़े हुए हैं. कई लोगों ने दमन झेला, कुछ गिरफ्तार भी हुए, हो सकता है इनके नाम आगे चल कर पुलिस के रिकॉर्ड में उन मामलों में आयें जिन से इनका कोई सम्बन्ध न हो, इन्हें झूठे मामलों में फंसाया जाए क्योंकि हम एक ऐसी सरकार के विरुद्ध खड़े हैं जिसे लगता है की लोगों के विरोध को झूठे दस्तावेजों से कुचला जा सकता है.

आज का प्रदर्शन पिछले 6 माह से चली आ रही अनवरत लामबंदी का द्योतक है जिसका आग़ाज़ जुलाई 2019 में मजदूरी संहिता लागू होने पर हुआ था. पिछले महीने में लोगों ने संघर्ष करने की अभूतपूर्व क्षमता दिखाई है. इस लड़ाई को आगे ले जाते हुए मजदूर वर्ग के कन्धों पर एक बड़ी जिम्मेदारी है कि लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई को हर मेहनतकश के अधिकारों की लड़ाई का अभिन्न अंग बनाया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि यह संघर्ष तब तक जारी रहे जब तक इस लड़ाई का फल समाज के हर मेहनतकश तक नहीं पहुँच जाता.

गौतम मोदी
महासचिव