हम यह भी साफ़ कर देना चाहते हैं कि जनता ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा फैलाई जा रही नफरत जो लोगों को जाती, धर्म, भाषा, लिंग, स्थान या समुदाय के नाम पर बांटना चाहती है उसको पूरी तरह से नकार दिया है. हम उन सभी मूल्यों और अधिकारों की रक्षा करेंगे जो हमने आज़ादी की लड़ाई और पिछले सात दशक के संघर्षों से हासिल किया है. हम नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसँख्या रजिस्टर (NPR) का पुरजोर विरोध करते हैं. हम यू.ए.पी.ए (UAPA) और अन्य काले क़ानूनों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे. हम जम्मू-कश्मीर के लोगों का अनुच्छेद 370 का अधिकार और उत्तर-पूर्वी राज्यों का अनुच्छेद 371 और उससे संबद्ध उपधाराओं के अधिकार की लड़ाई भी जारी रखेंगे जो उस देश की विविधता और संघीय संरचना की नींव है जिसे हम भारत कहते हैं. हम एक बेहतर अर्थव्यवस्था, न्यायसंगत समाज और विविध लोकतंत्र के लिए अग्रसर होंगे.
न्यू ट्रेड यूनियन इनिशिएटिव मजदूर वर्ग के हर तबके के साथ–साथ किसानों, छात्रों, युवाओं और उन सभी लोगों का इस्तकबाल करता है जिन्होनें आज जनता की लड़ाई में अपना योगदान दे उसे और आगे बढ़ाया. हम ख़ास कर उन मजदूरों के जज़्बे को सलाम करते हैं जो असंगठित क्षेत्र में, ठेके पर, मानदेय पर या दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं जहाँ काम की परिस्थिति विषम और विभत्स्य हैं फिर भी वे इस लड़ाई की अगुआई करते रहे और छात्रों की भी दाद देते हैं जो सब कुछ दांव पर लगा कर कॉलेजों के तानाशाह प्रबंधन के खिलाफ खड़े हुए हैं. कई लोगों ने दमन झेला, कुछ गिरफ्तार भी हुए, हो सकता है इनके नाम आगे चल कर पुलिस के रिकॉर्ड में उन मामलों में आयें जिन से इनका कोई सम्बन्ध न हो, इन्हें झूठे मामलों में फंसाया जाए क्योंकि हम एक ऐसी सरकार के विरुद्ध खड़े हैं जिसे लगता है की लोगों के विरोध को झूठे दस्तावेजों से कुचला जा सकता है.
आज का प्रदर्शन पिछले 6 माह से चली आ रही अनवरत लामबंदी का द्योतक है जिसका आग़ाज़ जुलाई 2019 में मजदूरी संहिता लागू होने पर हुआ था. पिछले महीने में लोगों ने संघर्ष करने की अभूतपूर्व क्षमता दिखाई है. इस लड़ाई को आगे ले जाते हुए मजदूर वर्ग के कन्धों पर एक बड़ी जिम्मेदारी है कि लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई को हर मेहनतकश के अधिकारों की लड़ाई का अभिन्न अंग बनाया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि यह संघर्ष तब तक जारी रहे जब तक इस लड़ाई का फल समाज के हर मेहनतकश तक नहीं पहुँच जाता.
गौतम मोदी
महासचिव